मंज़िलो से खूबसूरत रास्ते हैं- कोडाइकनल

Kodaikanal

कोडाइकनल- मंज़िल की तलाश में हम रास्तों को भूल गए। पाने की तलाश में हम ज़िंदगी को भूल गये। पर कई बार ऐसा होता है कि मंज़िलो से ज़्यादा मज़ा रास्ते में आता है।इस बार मेरा ब्लॉग मंज़िलों से खूबसूरत रास्ते हैं- कोडाइकनल इसी पर आधारित है।

Kodaikanal town view

आज 25 दिसम्बर और क्रिसमस की छुट्टी में मुझे कई दिनो बाद शहर से बाहर जाने का मौक़ा मिला। और ये जगह था कोडाइकनल। कोड़ाइकनल लगभग चेन्नई से 550 किमी की दूरी पर, कोयम्बतूर से 200 और मदुरै से 100 किमी दूर है। कोडाइकनल एक बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेशन है। यह भारत के पश्चिमी घाट में नीलगिरी पहाड़ी के अंदर स्थित है।ऊँचे ऊँचे पहाड़ और चारों तरफ़ जंगलो की हरियाली से कुछ अलग टाइप का ही अद्भुत अनुभव प्राप्त होता है। इन ऊँचे पहाड़ों और जंगलो की हरियाली के बीच अपने आपको समेटे हुए है यह खूबसूरत हिल स्टेशन कोडाइकनल। 

A beautiful view

मेरी यात्रा 25 दिसम्बर को सुबह सुबह 8 बजे प्रारम्भ हुई। 8 बजे ट्रेन पकड़ा और 1.30 बजे मैं त्रिची पहुँच गया। असल में त्रिची में मेरे मित्र रहते है। और प्लान के मुताबिक़ हम लोगों को साथ में त्रिची से कोडाइकनल के लिए अगले दिन निकलना था। त्रिची से कोडाइकनल की दूरी लगभग 200 किमी है। त्रिची पहुँचते ही मेरे मित्र अपनी नई नवेली कार के साथ मेरे स्वागत हेतु स्टेशन पर ही तैयार मिले। हमारा प्लान यह था की आज 25 को रात त्रिची में बितायी जाये। कुछ पार्टी शार्टी की जाए। फिर अगले दिन सुबह यानी की 26 को सुबह सुबह ही 8 बजे कोडाइकनल के लिए प्रस्थान किया जाए। और 12 या 1 तक मैक्सिमम पहुँच ज़ाया जाए। परंतु यही तो यात्रा है, प्लान के मुताबिक़ कही कुछ थोड़े ना होता है। शाम को पार्टी में कुछ और मित्र शामिल हुए। खाते पीते नाचते गाते रात के 2 बज गये। फिर सुबह कहा कौन उठ के 8 बजे तक तैयार हो पाता।

a lake in kodaikanal

वैसे त्रिची शहर बहुत ही साफ़ सुथरा और ट्रैफ़िक की चिल्ल पो से मुक्त जगह है। यहा का तापमान भी ठीक ठाक ही था। रहने के हिसाब से भी ज़्यादा महँगा शहर नहीं है, और आप comparatively कम खर्च में ही अच्छे से रह सकते है। इसका पूरा नाम है तिरुचरिपल्ली , जिसे अंग्रेजो ने अपने सहूलियत के हिसाब से त्रिची रख दिया था। 

ख़ैर हमारी यात्रा अगले दिन 26 को सुबह 8 के बजाय 10.30 बजे स्टार्ट हुई। और लगभग 4 बजे यानी कि 5.30 घंटे के बाद हमारी यात्रा अपने मंज़िल कोड़ाइकनल पर पहुँची। इस रास्ते में हमें कई बार रुकना पड़ा, क्यूँकि हमारे टीम के कुछ सदस्यों की तबियत ख़राब होने लगी थी। इसकी वजह थी रात की पार्टी। कभी रुकते थे पानी के लिए, तो कोल्ड ड्रिंक के लिए तो कभी उल्टी के लिए। लगभग 150 किमी मैदानी क्षेत्र में में हाई वे कवर करने के बाद हमारी गाड़ी मुड़ गई पहाड़ी वालों रास्तों की तरफ़। अब यहा से रास्तों का मज़ा कुछ अलग ही लेवल का आ रहा था। पहाड़ एक 50 किमी कवर करने में कुछ ज़्यादा ही समय लग गया था। क्यूँकि इन रास्तों पर तेज चलना मुश्किल था। 

A road to kodaikanal

रास्ते अब काफ़ी घुमावदार हो गए थे। लगभग हर 100 मीटर पर एक नया मोड़ आ जाता था। गाड़ी की रफ़्तार 40 के ऊपर जा ही नहीं सकती थी। रास्तों के एक तरफ़ ऊँचे पहाड़ तो दूसरी तरफ़ गहरी खाई। जहां तक नज़र का विस्तार है वहाँ तक जंगल ही जंगल। और नज़र ऊपर जाए तो बादलों के अंदर ढँकी हुई पहाड़ की चोटियाँ। इन रास्तों से हटकर भी बहुत सारे छोटे मोटे रास्ते निकल रहे थे। देखने से काफ़ी दुर्गम और ऊँची चढ़ाई वाले मालूम पड़ते थे। हम लोग तो इन रास्तों पर अपनी कार भी ले जाने से डर रहे थे। कही उल्टे कार नीचे डगरने लगे तो। कही फँस गए तो बचाने वाला आसपास कोई नही। ना कोई बस्ती जहां तक आपकी आवाज़ पहुँच सके, और नाही मोबाइल में नेटवर्क जो आपकी आवाज़ को कही और पहुँचा सके।

इन रास्तों में कई जगह बीच बीच में आसपास के गाँव वाले लोग अपनी अपनी फलों और सब्ज़ियों की दुकाने लगाए हुए थे। इनमे ताजे ताजे रसीले संतरे और हरे पत्तों सहित लाल लाल गाजरों ने हमारा ध्यान आकर्षित किया। रास्ते में हमने रुक कर इन स्थानीय लोगों की  सेवाए भी ली। फिर संतरे छिलते हुए हम आगे बड़ते चले गए। कुछ देर के ब्रेक के बाद हमारी गाड़ी फिर से इन सर्पिले रास्तों पर सरपट दौड़ रही थी। 

A hill trekking site in kodaikanal

अब हम समुद्र तल से काफ़ी ऊपर पहुँच चुके थे। हवा में सर्दी का अहसास होने लगा था। कार की AC बंद हो चुकी थी  और खिड़कियाँ खोल कर मौसम का मज़ा लिया जा रहा था। हवा की ठंड बार बार रोंगटे खड़े कर दे रही थी। बीच बीच में  कई जगह बंदरो का झुंड दिखाई पड़ता। जो सड़क किनारे धूप सेंक रहे थे। साथ ही साथ मुसाफ़िरों द्वारा फेंके गए खाने की तलाश में जंगल छोड़ कर सड़कों पर जंग करते नज़र आ रहे थे।इस झुंड में बच्चे से लेकर बुढ़ऊ बंदर तक शामिल थे। आपस में खूब खा खा खी खी कर रहे थे।

शाम को लगभग 4 बजे हम अपने निवास रिज़ॉर्ट में पहुँचे। अपना अपना सामान उतारा और  फटाफट चेक इन किया। यह एक शानदार रिज़ॉर्ट था जो कि एक बड़ी सी  पहाड़ी के ढलान पर बनाया गया था। इस रिज़ॉर्ट में पहुचने के लिए काफ़ी तीखी ढलान से हमें नीचे उतरना पढ़ा।इस रिज़ॉर्ट को बहुत ही शानदार ढंग से प्लान किया गया था। यानी की ढलान को ऐसा आकार दिया गया था  कि हर लेवल पर कॉटिज टाइप रूम्स बन सके। ऊपर की पहाड़ी से लेकर उसके निचले तल तक इसी रिज़ॉर्ट का फैलाव था। हम चेक इन करने के बाद फटाफट रूम्स  गए। शाम के 5 बज चुके थे।कुछ खाने  के लिए मंगाया। थकान और खाने के बाद गरम बिस्तर देखकर मैं अपने नींद के लालच को नही छोड़ सका। और धम्म से बिस्तर में गिरते ही आँख लग गई। 

A resort in lap of nature

देर शाम को प्लान के मुताबिक़ हम लोगों ने रात के टाइम में कोडाइकनल टाउन और मार्केट देखने का विचार किया। और प्लान ये भी था की आज रात का खाना होटेल में ना खाये, या तो बाहर खाया जाएगा या फिर पैक कराकर लाया जाएगा। हमारी गाड़ी हेड लाइट जलाकर फिर से टाउन के सड़कों पर रेंग रही थी। जैसा कि आप को पहले से ही पता है, इस समय क्रिसमस की छुट्टियाँ चल रही थी। आसपास के बहुत सारे मेट्रो शहरों से लोग छुट्टियाँ बिताने अपनी अपनी गाड़ियों में कोडाइकनल आ चुके थे। आज के समय में अन्य टाइम के बजाय बहुत ही ज़्यादा ट्रैफ़िक था। 10 मिनट की दूरी तय करने में घंटे के बराबर समय लग रहा था। कार में चलने से ज़्यादा बेहतर पैदल चलना लग रहा था। ऐसा मंजर था जैसे की मेट्रो की सारी गाड़ियाँ एक साथ उठा कर इस छोटे से टाउन के अंदर रख दी गई हो। सारी की सारी ट्रैफ़िक व्यवस्था चरमरा गई थी। इतना ट्रैफ़िक हैंडल करना कोडाइकनल के बस की बात नही।

A scenic view

और हाँ यहाँ पर आपको  एक बात तो बताना भूल ही गया था, शुरू शुरू में हमारी प्लानिंग सिर्फ़ एक दिन की थी कोडाइकनल में रुकने की। लेकिन फिर हमने तय किया कि क्यू ना एक दिन और बिताया जाए यहा पर। ताकि यहाँ की ख़ूबसूरती का और अच्छे से आनंद लिया जा सके। एक दिन के हिसाब से हमारा रिज़ॉर्ट तो पहले से ही बुक था। लेकिन अगले एक दिन के लिए हमें एक और होटेल या रिज़ॉर्ट की तलाश थी। हम पूरे शहर में घूमते हुए एक एक होटेल में पता करते जा रहे थे। लेकिन क्रिसमस के टाइम में भीड़ इतनी ज़्यादा थी कि ख़ाली रूम ढूँढने में हमारे पसीने छूट रहे थे। जहां जाओ वहा पर सॉरी सर ही सुनने को मिल रहा था। बहुत मेहनत और समय के बाद हमें एक अच्छा सा होटेल रूम मिला जिसे हमने बिना तीन पाँच किए अगले दिन के लिए बुक कर लिया।

Hills covered in cloud

अब हमें तलाश थी एक अच्छे रेस्ट्रॉंट में रात के खाने की। इसका भी वही हाल जहाँ भी जाओ वहाँ पहले से ही पचासों लोग लाइन लगा के खड़े थे। एक रेस्ट्रॉंट से दूसरे की तरफ़ भटकते हुए हम आगे बढ़े जा रहे थे। फिर आख़िर में थक हार कर एक जगह से लाइन में लग के खाना पैक कराया और वापस अपने होटेल की तरफ़ मुड़े। 

लौटते लौटते  रात के लगभग 11 बज चुके थे। मौसम काफ़ी ठंडा हो चुका था। स्वेटर और जैकेट भी कम पड़ रहे थे। बाहर निकलते ही कंपकंपी निकलने लगती थी। पूरे दिन की यात्रा और भाग दौड़ में हम लोग काफ़ी थक चुके थे। हम सबने फटाफट खाना खाया, गप्पें लड़ाए और अपने बिस्तर की रज़ाई में घुस गये। बहुत ही अच्छा लग रहा था गरम गरम रज़ाई में। 

A resort

अगले दिन यानी 27 की सुबह हम लोगों की नीड़ खुली लगभग 9 बजे। होटेल का नाश्ता रूम के प्राइस में included था। जो की सुबह 10 बजे तक ही मिल सकता था। अतः हम सब फटाफट तैयार हुए और पहुँच गए सुबह के नाश्ते की टेबल पर। यहा पर नाश्ते में कई प्रकार के व्यंजन थे। नॉर्थ इंडीयन से लेकर साउथ इंडीयन तक, veg और nonveg, फ़्रूट और चाय दूध कॉफ़ी इत्यादि। सबने अपनी अपनी पसंद का खाना चुना और छक के खाया। इसके बाद हम रिज़ॉर्ट के अंदर ही घूमने लगे। जैसा कि पहले ही बताया था ये पहाड़ी पर स्थित था और बहुत बड़े फैलाव में था। उसके अंदर भी घूमने में मज़ा आ रहा था। गुनगुनी धूप अच्छी लग रही थी, सो वही पर बड़े से घास के मैदान में थोड़ी देर अलसा कर हम लोग लेट भी गए।

dolphin nose view from dista

नाश्ते और घूमने के बाद हम लोग फिर से तैयार है। लेकिन सबसे पहले हमें इस होटेल से चेक आउट करके अपने नए वाले होटेल में चेक  इन करना है। फिर उसके बाद हम लोग कोडाइकनल के  अंदर  बाक़ी सब टुरिस्ट जगहों को कवर करेंगे।हम नए होटेल पहुँचे और अपना सारा सामान रूम में पटक दिया। आज भी पहले की तरह 11 बजे निकलने का प्लान था, निकलते निकलते 1.30 बज गए। 

अब हम फिर से कोडाइकनल की सड़कों पर उतर चुके थे, एक छोटे से सफ़र को अंजाम देने के लिए। आज लगभग 40 -45 किमी के अंदर सारे जगह कवर हो जाते।हमें चुकी सड़कों का ज्ञान न था।इसलिए गूगल और GPS देवता की मदद लेनी पड़ राही थी। हमने कुछ लोकल्स से सड़कों के बारे में जानना चाहा। लेकिन ना तो वो हमें समझा सके नाही हम समझ सके। पर आज कुछ ऐसा हुआ था कि गूगल का बाप भी हमारी मदद नही कर सकता था। हुआ यू की भारी ट्रैफ़िक के चलते  3 से 4 दिन के लिए यहाँ की सारी सड़कों को वन वे बना दिया गया था। जो GPS में 10 किमी दिखा रहा था, वो ग़लत था हमें घूम कर जाना पड़ता वन वे की वजह से। लगभग 30 से 40 किमी। हम बार बार वन वे पकड़ते सही वाला, लेकिन GPS shortest distance को गिनते हुए हमें बार बार ग़लत रास्ते पर ले आ रहा था।इन रास्तों पर कुछ किमी के बाद पुलिस चेक लगा रहता था। जो हमें फिर वहा से वापस मोड़ देते थे। ऐसा कई बार हुआ और हम उन्ही ग़लत सड़को पर लगभग 50 किमी आगे पीछे कर चुके थे। बार बार u turn लेना और वापस मुड़ना ख़तरनाक होता जा रहा था। एक तो उन पर एक direction में भागता तेज  ट्रैफ़िक, पतली और घुमावदार सड़के, इनपर रिवर्स  और u टर्न लेना बहुत रिस्की लगने लगा था। 

a waterfall

बार बार ऐसा होता गया और अंत में हम सब फ़्रस्ट्रेट हो गए और सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जो रोमांच लेना था वो तो हमने इन सड़कों पर प्राप्त कर लिया। अब टुरिस्ट points मोर ओर लेस इनके जैसे ही होंगे। अतः हमने निर्णय लिया वापस मुड़ने का और अपने होटेल वापस आने का। 

a view from cocker’s walk

फिर भी वह से लौटते समय हमने दो तीन बिंदुओ को कवर कर ही लिया। एक बड़ा सा झरना, कोकेर्स वॉक, बड़ी सी झील का ऊँचाई से व्यू। इन सबमें शानदार था कोकेर्स वॉक। यह एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। इसे एक बड़े से ऊँचे पहाड़ के चारों तरफ़ से रास्ता काट कर बनाया गया है। जहां पर आप एक तरफ़ से प्रवेश कीजिए और टहलते टहलते लगभग 1.30 या 2 किमी के बाद बाहर निकलिए। यहा से आपको कोडाइकनल के सारे प्वाइंटस  नज़र आ जाएँगे। मसलन डॉल्फ़िन नोज़ इत्यादि। यहा से आप पूरे घाटी और वादी का नजारा ले सकते है। कई जगह पर टेलेस्कोप्स लगाए गए है, जहां आप 5 या 10 रुपए दे कर आराम से दूर दूर तक देख सकते है। इस कोकेर्स प्वाइंट को  कोडाइकनल के बेहतरीन जगहों में से एक गिना जाता है।

A hill covered in kurinji flowers

यहाँ पर टहलते हुए मुझे कई जगह नीले फूल वाले पौधे दिखायी दिए। जिन्होंने ध्यान आकर्षित किया। जब इसके बारे में गूगल पर सर्च किया तो पता चला कि इन्हें कुरुंजी के फूल कहते है। दर-असल में कुरुंजी के फूल 12 साल में एक बार खिलते है। और जब ये एक साथ खिलते है तो पूरी की पूरी घाटी और पहाड़ी नीले चद्दर में ढकी हुई नज़र आती है। दूर से देखने में ऐसा लगता है, इन पहाड़ियों ने नीला कम्बल ओढ़ रखा है। इन्ही नीले कुरुंजी के कारण इस पर्वत श्रेणी को नीलगिरी के नाम से जाना जाता है। अब घूमते घूमते शाम ढल चुकी थी।हम वापस अपने होटेल आ गए। और उस रात की पार्टी की तैयारियों में लग गए। 

kurunji flower

अगला दिन 28 दिसम्बर था, और आज हमारा कोडाइकनल में आख़िरी दिन था। हम लोग तैयार होकर लगभग 10.30 बजे होटेल से चेक आउट किए। अब हमारी मंज़िल थी वापस त्रिची शहर। लगभग 4 बजे हम त्रिची पहुँचे आराम किया। फिर रात की 11.45 की ट्रेन पकड़ कर मैं सुबह 5 बजे तक अपने शहर, अपने घर वापस आ चुका था। मेरी कोड़ाईकनल की यात्रा यही समाप्त होती है। 

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