Foreign Contribution (Regulation) Act 2010 [ विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम 2010]

अभी हाल ही में समाचारों के माध्यम से आपको मालूम हुआ होगा कि कई सारे NGOs का Foreign Contribution (Regulation) Act 2010 यानि की FCRA के अंतर्गत लाइसेन्स रद्द कर दिया गया है। भारतीय गृह मंत्रालय ने उनका FCRA सर्टिफ़िकेट रद्द करते हुए बैंक खातों को ज़ब्त कर लिया।

क्या है FCRA ( what is FCRA)

FCRA गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है। FCRA का काम विदेशों से आए दान और Contributions पर नज़र और नियंत्रण रखना है। ये पैसे कही भारत की आंतरिक सुरक्षा को नुक़सान पहचाने के लिए इस्तेमाल ना हो, इसका ध्यान FCRA द्वारा रखा जाता है। FCRA को पहली बार 1976 में लागू किया गया था। 2010 में इसमें कुछ संसोधन करते हुए कुछ नए नियम और लागू किए गए। FCRA की लाइसेन्स उन सब associations/ संगठनो के  लिए ज़रूरी होता है जो विदेशों से पैसा प्राप्त करना चाहते है। सारे NGOs को FCRA के अंतर्गत रजिस्टर कराना ज़रूरी होता  है। पहले ये शुरू के 5 साल के लिए वैध होता है जिसे आगे और बढ़ाया जा सकता है अगर सारे नियमो का पालन किया जाए तो। रेजिस्टर्ड संगठन शिक्षा, धर्म, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों हेतु धन प्राप्त कर सकती है। 2015 में गृह मंत्रालय के नए नियमो के मुताबिक़ सारे NGOs को यह वचन या undertaking देनी पड़ेगी कि विदेशों से प्राप्त धन का इस्तेमाल साम्प्रदायिक द्वेष, किसी मित्र राष्ट्र के ख़िलाफ़ तथा भारत के स्वतंत्रता को कम करने के लिए इस्तेमाल नहीं होगा।

FCRA के अंतर्गत कौन कौन धन प्राप्त कर सकता है? ( who can receive foreign donations)

MP, MLA, जज, सरकारी अधिकारी, और मीडिया के लोग विदेशों से धन प्राप्त नहीं कर सकते। 2017 के फ़ाइनैन्स बिल के अनुसार राजनीतिक पार्टियाँ विदेशों से धन प्राप्त कर सकती है, परंतु केवल भारतीय उद्योगों के विदेशी शाखाओं द्वारा या फिर उन उपक्रमों के द्वारा जिसमें भारतीय कम्पनीज़ का हिस्सा 50% से ज़्यादा है। 

कई सारे क़ानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक़ यह साबित करता है कि भाजपा और कांग्रिस, ब्रिटिश कम्पनी वेदांता से पहले भी धन प्राप्त करती आ रही है लगभग 2004 से 2012 के बीच में। इसके ख़िलाफ़ 2014 में हाई कोर्ट में केस भी हुआ था जिसे कोर्ट ने असमवैधानिक करार दिया था। जिसके ख़िलाफ़ पोलिटिकल पार्टीज़ supreme court भी गई थी। लेकिन बाद में सरकार द्वारा restrospectively अधिनियम लाकर इसे ख़ारिज कर दिया गया। 

कब NGOs का registration रद्द होता है ( why registration under FCRA is cancelled) 

 Assocciations या NGOs की खातों के जाँच के बाद या फिर नियमो की उल्लंघन की ख़बर मिलने बाद गृह मंत्रालय 180 दिन के लिए लाइसेन्स को सस्पेंड करता है। जब तक कि कोई निर्णय ना लिया जाए तब तक कोई नया धन प्राप्त नहीं किया जा सकता और बैंक खाते में उपलब्ध धन का 25% से ज़्यादा नहीं इस्तेमाल किया जा सकता है। लाइसेन्स रद्द होने के पश्चात अगले तीन साल तक उसके द्वारा  नया रेजिस्ट्रेशन नहीं करवाया जा सकता है ।

अभी तक कितने Associations का लाइसेन्स रद्द किया जा चुका है ( how many licence cancelled under FCRA) 

गृह मंत्रालय के द्वारा 2011 में उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार , अभी तक 20,664 संगठनो का लाइसेन्स रद्द किया जा चुका है। August 2020 तक 49,843 FCRA रेजिस्टर्ड संगठन है।

गृह मंत्रालय ने अंतः राष्ट्रीय दान दाताओं जैसे कि कम्पैशन इंटर्नैशनल, फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन, वर्ल्ड मूव्मेंट फ़ोर डिमॉक्रेसी, ओपन सोसायटी फ़ाउंडेशंज़, और नैशनल एंडाउमेंट फ़ोर डिमॉक्रेसी पर रोक लगा रखी है। इनके द्वारा दी गई फ़ंडिंग को ग़लत तरीक़े जैसे की राजनीतिक षड्यंत्र, संप्रादायिक षड्यंत्रो के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। अंतः राष्ट्रीय दबावों के बावजूद भी भारत सरकार द्वारा इन मज़बूत संगठनो पर रोक लगाई गई।ये संगठन भारत की संप्रभुता और देश की सुरक्षा को चुनौती दे रहे थे।

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