Reason of war between Armenia and azerbaijan -आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच युद्ध नगोर्नो- कारबाख क्षेत्र को लेकर-कारण

Armenia and azerbaijan war

आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच युद्ध  नगोर्नोकारबाख क्षेत्र को लेकर छिड़ चुका है। ऐसा नहीं है कि यह कोई नया युद्ध है लगभग 3 दशक पहले भी 1992-94 में दोनो के बीच युद्ध हुआ था। इनकी दुश्मनी को लगभग 100 साल पीछे से चिन्हित किया जा सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि इनकी दुश्मनी का क्या कारण है। जो कुछ सालो तक ससुप्त ज्वालामुखी की तरह बाद फिर से फटा है और विकराल रूप लेने लगा है। ऐसा अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि इस युद्ध के माध्यम से कई सारी अंतः राष्ट्रीय ताकते हाथ आज़माने के फ़िराक़ में है। जैसे की टर्की, पाकिस्तान, ईरान, और रूस। 

इतिहास में जाने से पहले वर्तमान में दोनो  देशों की वर्तमान भौगोलिक स्थिति  के बारे में जानने की कोशिश करते है। दोनो देश अगर उनके क्षेत्रफल और जनसंख्या के हिसाब से देखे तो भारत के तुलना में बहुत ही छोटे देश है। आर्मेनिया लगभग 30 हज़ार वर्ग किलोमीटर में फैला है लगभग 30 लाख की जनसंख्या के साथ, अज़रबैजान  86 हज़ार वर्ग किलोमीटर में फैला है लगभग 1 करोड़ जनसंख्या के साथ। अगर इनकी हम तुलना अपने देश के एक राज्य हरियाणा से करे तो हरियाणा का क्षेत्र 44 हज़ार वर्ग किलोमीटर और जनसंख्या लगभग 2.5 करोड़ है।

आर्मेनिया और अज़रबैजान की सिमाए आपस में मिलती है। आर्मेनिया के एक तरफ़ टर्की है तो दूसरी तरफ़ अज़रबैजान। आर्मेनिया एक लैंड लाक्ड देश है यानी कि इसका समुंदर तक पहुँच नहीं है। वही अज़रबैजान के एक तरफ़ आर्मेनिया तो दूसरी तरफ़ ईरान और कैस्पीयन सागर है। 

नगोर्नो-कारबाख का हिस्सा

यहाँ पर विवाद का क्षेत्र नगोर्नोकारबाख  है जो दोनो देशों की सिमावों के बीच में पड़ता है। नगोर्नोकारबाख  का हिंदी में मतलब है काली पहाड़ी का बगीचा। बहुत ही खूबसूरत और रमणीय क्षेत्र है। जिसका क्षेत्रफल लगभग 4.5 हज़ार वर्ग किलोमीटर है 1.5 लाख जनसंख्या के साथ। इसकी बहुसंख्यक जनता अरमेनियन है। 

इसका विवाद लगभग 1918-20 के पास से चला आ रहा है। अरमेनियन ईसाई बहुसंख्यक जनता और अज़रबैजान की मुस्लिम  बहुसंख्यक जनता के बीच में। अज़रबैजान की बहुसंख्यक मुस्लिम जनता अपने आप को तुर्क मानती है, और वर्तमान के तुर्की देश से इनका अच्छा सम्बंध है। ख़ैर 1920 के आसपास नगोर्नो-कारबाख का विवाद उभरा था दोनो देशों के बीच में। 1920 में ये दोनो देश सोवियत संघ का हिस्सा बन गए थे। और तत्कालीन सोवियत संघ के रास्ट्रपति स्टैलिन के सामने कोई भी ये विवाद और आगे उठाने की हिम्मत ना कर सका। सोवीयत संघ ने यह क्षेत्र अज़रबैजान को दे दिया शासन करने के लिए इसके बावजूद की वह की बहुसंख्यक जनता अरमेनियन/ ईसाई थी। 

आर्मेनिया और नगोर्नोकारबाख की जनता यह रोष कई दशकों तक अपने अंदर पालती रही परंतु सोवियत संघ का हिस्सा होने के कारण, आर्मेनिया या नगोर्नोकारबाख  की जनता कोई कदम नहीं उठा सकती थी। 1989-90 में नगोर्नोकारबाख में दंगे फैल गए जिसमें बहुत सारे अज़रबैजान मूल के लोगों को वहाँ से विस्थापित होना पड़ा। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात नगोर्नोकारबाख  ने अपने आप को स्वतंत्र घोषित कर दिया। परंतु अज़रबैजान के डर से उन्होंने अपना फ़ैसला बदला और अपने आपको आर्मेनिया का हिस्सा मान लिया।

नगोर्नोकारबाख  के इस निर्णय से आर्मेनिया और अज़रबैजान के मध्य युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध की एक रोचक बात ये है कि अभी अभी सोवियत सेना से निवृत हुए सिपाही किराए के सिपाही के रूप में दोनो देश के तरफ़ से युद्ध लड़ा। ये सिपाही लालच और प्रलोभन में रातों रात अपना पाला बदल लेते थे। इस युद्ध में आर्मेनिया की विजय हुई और उसने अपनी सेना भेजकर नगोर्नोकारबाख के बहुत सारे हिस्सों पर क़ब्ज़ा जमा लिया।

हालाँकि आज तक  आर्मेनिया ने इस क्षेत्र का विलय औपचारिक रूप से अपने देश में किया नहीं है परंतु सेना के माध्यम से आर्मेनिया का ही क़ब्ज़ा है। अंतः राष्ट्रीय रूप से आज भी नगोर्नोकारबाख को अज़रबैजान का ही हिस्सा माना जाता है। 

1994 में हुई हार को अज़रबैजान और वहाँ की मुस्लिम बहुसंख्यक जनता आजतक स्वीकार नहीं कर पाई है, इसीलिए 3 दसको से उनकी सीमावो पर छोटी मोटी झड़पे चली आ रही है। 2020 में हुई ऐसी ही झड़प ने विकराल रूप ले लिया और युद्ध के रूप में परिवर्तित हो गई। इस युद्ध में रूस मध्यस्थता करने की कोशिश कर रहा है। वही टर्की खुले तौर पर अज़रबैजान को मदद भेज रहा है। अभी हाल ही में ये भी खबर आई है की टर्की सीरिया के आतंकवादी संगठनो को भी किराए के सिपाही के रूप में लड़ने के लिए अज़रबैजान में भेज रहा है। 

2 thoughts on “Reason of war between Armenia and azerbaijan -आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच युद्ध नगोर्नो- कारबाख क्षेत्र को लेकर-कारण”

  1. सरल शब्दों में समुचित व्याख्या करता लेख जिसे पढ़कर विषय की जानकारी नही रखने वाले पाठक भी दोनों देशों के बीच वर्तमान हालात उपजने के कारण और उनके बीच की यथास्थिति समझ सकते हैं।

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