पर्व उपन्यास संक्षेप में [summary of Parv]

राग दरबारी book shorts


पर्व उपन्यास एसएल  भैरप्पा द्वारा मूल रूप से कन्नड़ा भाषा में लिखा हुआ एक उपन्यास है। यह किताब महाभारत के पात्र और घटनाओं को केंद्र में रख कर लिखा गया है। वास्तविक महाभारत के अध्यायों को पर्व कहा जाता है और कुल मिलाकर १८ पर्व है महाभारत में। और शायद इसी पर्व के नाम पर भी इस किताब का नाम पर्व रखा गया है।








इस पर्व उपन्यास के अलग अलग पात्र पुराने घटना क्रमों को याद करके  अपनी अपनी कहानी कहते रहते है। अपने इर्द गिर्द के लोगो की सोच, उनके साथ घटी घटनाओं के बार में सोच सोच कर एक एक अध्याय या पर्व का निर्माण करते है। जैसे  कि  मामा शल्य के ऊपर आधारित अध्याय, द्रौपदी, भीम और सात्यकि का अपना अपना अध्याय। महाभारत की कई सारी कहानियाँ जो प्रचलित है, वो इसमें है, और भी कहानियाँ जो आम जनमानस में प्रसिद्ध नहीं है, वो भी इसमें वर्णित है।

उदाहरण के तौर पर, वह अध्याय जिसमे मामा शल्य को केंद्र में रखकर लिखा गया है,  इसमें जो जो मामा शल्य पुराने घटनाक्रमों को याद करते हुए कुछ कुछ सोचते है और करते है, वह एक अध्याय बनता है। इनके माध्यम से महाभारत के कई सारे पात्रो कहानियो और घटनाओं के बारे में पता चलता है।इसी तरह से अन्य पात्र अपनी अपनी कहानी और उससे जुड़े घटना क्रम के बारे में सोचते रहते है।




यह किताब महाभारत की घटनाओं और उससे जुड़े किरदारों को एक दम से मानवीय स्तर पर रखने का प्रयास करती है।और  इसी  तरह के प्रयास में इसमें लिखित कुछ प्रसंग शायद से कई लोगो को पसंद नहीं आये। जैसे कि द्रौपदी से विवाह के समय लेकर पांडवों में हुआ झगड़ा – झंझट और उनके बीच तू तू मैं मैं। इसे बहुत ही अजीब तरह से प्रस्तुत किया गया है। कई अन्य जगहों पर भीम, अर्जुन और युधिष्ठिर के झगड़े और उनके बीच गाली गलौज को दिखाया गया है। 




जो महाभारत के बारे में बिलकुल नहीं जानते, उनके लिए यह किताब सुझावित नहीं है। क्यों कि  जो नये नये पाठक है, उनके दिल और दिमाग़ में पांडवों के प्रति कुछ ग़लत छाप छोड़ सकती है। बाक़ी जिनको इससे मतलब नहीं है, और सिर्फ़ महाभारत को कहानी के तौर पर जानना चाहते है, वो इसे पढ़ सकते है। 




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